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१ १३६ ) अभ्यास १-नीचे लिखे वाक्यो मैं कृदंत के भेद बताओ--- इतना बचन ज्योतिषियों के मुख से निकलते ही राजा भीमक ने अति सुख मान बड़ा आनंद किया है वह ब्राह्मण टीका लिए चलान्चला शिशुपाल की सभा में पहुँचा। वह ग्रभु का नाम लेता द्वारका को गया ! तोरण-बंदनवार बँधे हुए हैं। वे कहने-सुनने से पढ़ने लगे। वहॉ गॉव की रहनेवाली एक स्त्री आई। वे देवी के सामने अकेले बैठकर रोया करते थे । और भी अनेक पशु काम में आए । महाराज की आज्ञा पत्थर पर खुदी है । भगवान् बिगड़ी के बनाने वाले हैं। दो घडी दिन रहे वे लोग मिलने को आर । चलती गाड़ी में मत चढो । क्रियाओं और कृदंतों की पूर्ण व्याख्या ' वाक्य-राजा ने भी सभा में अपनी चमकती हुई तलवार दिखा कर कहा कि इस शास्त्र के रहते किसी को मेरा राज्य छीनने का साहस न होगा | भरी--भूतकालिक कृदंत विशेषण, सकर्मक, कर्मवाच्य, सुभा की विशेयता बताता है; स्त्रीलिंग, एकवचन | चमकती हुई-वर्तमानकालिक कृदंत विशेषण, अकर्मक, कनृवाच्य तलवारसंज्ञा की विशेषता बताता है, स्त्रीलिग, एकवचन । दिखाकर---पूर्वकालिक कृदंत अव्यय, सकर्मक, कतृवाच्य, इसकी मुख्य क्रिया कहा, कर्म तलवार' । कहा--क्रिया, सकर्मक, कत्तृवाच्य, निश्चयार्थ, सामान्य भूतकालं अन्य पुप, पुल्लिग, एकवचन, इसका कस राजा ने, कर्म अगला वाक्य, भावे-प्रयोग ।। | रहते-चपूर्ण क्रियाद्योतक कृदंत अव्यय, अकर्मक कर्तृवाच्य इसकी मुख्य क्रिया होगा |