पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१४५

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( १३५ )

( १३५ ) 'रहता है और यदि वह प्राणिवाचक हो तो संबंध कारक में आता है; ' जैसे, राजा ने सिंहासन पर बैठते ही अन्याय आरंभ किया । दिन | निकलते ही चोर भाग गए। आपके आते ही उपद्रव शांत हुआ। लडकी बाहर निकलते डरती है । मुझे रास्ता चलते कष्ट न होगा । जंगल में घूमते हुए मैने एक हरिण देखा। राम को बन में रहते चौदह वर्ष बीते । , २३४-ऊपर लिखे वाक्यो में रेखाकित शब्द अपूर्ण क्रिया- द्योतक कृदंत कहते हैं; क्योकि इनसे मुख्य क्रिया के साथ होनेवाले कार्य की अपूर्णता सिद्ध होती है । इस कृदंत का रूप तात्कालिक कृदत के समान होता है, पर इसमें ही नहीं जोड़ी जाती । इस कृदंत का उद्देश्य बहुधा संप्रदान-कारक में आता है । ', इस बात को हुए दस बरस बीत गए ।। इतनी रात गए तुम क्यों आए। लड़का हाथ में पुस्तक लिए हुए आया ।, । दिन निकले सब लोग चले गए। २३५ - ऊपर के वाक्यों में रेखांकित शब्द अपूर्ण क्रिया द्योतक कृदंत के उदाहरण हैं । इस कृदंत से मुख्य क्रिया के साथ होनेवाले। व्यापार की पूर्णता सूचित होती है । यह कृदंत भूतकालिक कृदंत के अंत्य 'अ' के बदले ६ करने से बनता है । । ' २३६-अपूर्ण क्रिया-द्योतक' और पूर्ण क्रिया-द्योतक कृदंतों के साथ बहुधा होना" क्रिया के पूर्ण क्रिया-द्योतक कृदंत का रूप हुए लगाते ६। दोनो कृदंत भी अब्यय और क्रिया-विशेषण हैं।