पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१४४

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{ १३४ ) सुसकर्मक कृदंत के साथ हुआ के बदले कभी-कभी जाना किया का भूतकालिक कृदंत गया जोड़ते हैं; जैसे, चोया गया खेत, भेजे गए कपडे, तपाई गई चादी । ३-अविकारी ( अध्ययन ) उसले घरसे निकल जंगल की राह ली । उनको समझा के मेरे पास लाओ । इतना कथा मुनि ने राजा को समझायी । वह अँगुली पकड़ के पहुँचा पकइता है। लड़की रोटी खाकर पाठशाला को जाता है। अच्छा स्थान देखकर वे वहाँ ठहरे। २३ ०~~-पूर्वकालिक कृदंत, व्यथ धातु के रूप में रहता है। अथवा धातु के अत में करअथवा '३' जाड़ने से बनता है। इसका उपयोग बहुधा मुख्य क्रिया से पहले होने वाले कार्य की समाप्ति के अर्थ में, क्रिया विशेषण के समान होता है। इसका रूप नहीं बदलता इसलिये इसे अव्यय कहते हैं । | २३१-पूर्वकालिक कृदंत और मुख्श क्रिया का उद्देश्य बहुधा एक ही रहता है, पर कभी-कभी पूर्वकालिक कृदंत के साथ अलग उद्देश्य आता है; जैसे, चार बन कर दस मिनट हुए हैं। इस औषधि से थकावट दूर होकर बल बढ़ता है। इस व्यापार में खर्च जाकर कुछ बचत होती है। उसने आते ही उपद्रव मचाया । लड़की चलते ही गिर पड़ी । चिट्ठी पाते ही सिपाही जायगा । रोगी उठते ही चिल्लाता है । २३२-तात्कालिक कृदंत अव्यय बनाने के लिये वर्तमान- कालिक कृदंत विशेषण के अंत्य ता’ को ‘ते’ करके उसके आगे ही? जोड़ते हैं । इनसे मुख्य क्रिया के साथ होनेवाले कार्य की समाप्ति का बोध होता है । यह कृदंत भी अव्यय है और क्रिया-विशेषण के समान उपयोग में कर मुख्य क्रिया की विशेषता बताता है। २३३०तात्कालिक कृदंत और मुख्य क्रिया का उद्देश्य बहुधा एक ही रहता है, पर कभी-कभी तात्कालिक कृदंत का उद्देश्य भिन्न