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( ११८ झर-झारक में रखते हैं; जैसे, वे नेताओं में सबसे बड़े हैं । -राजकुमारों में सबसे जेठे को गद्दी दी जाती है । ( ४ ) सर्वोचमता दिखाने के लिये कभी-कभी विशेषण को दुहराते हैं अथवा पहले विशेपा को अपादान-कारक में रखते हैं; जैसे, बड़े-बड़े विद्वान् भी ईश्वर की लीला को नहीं समझ सकते । अच्छे से अच्छा मनुष्य भी कुसंगति में पड़ जाता है । २०४-संस्कृन गुणवाचक विशेषणो की तुलना की दृष्टि से तीन अवस्थाएँ होती हैं--(१) मूलावस्था (३) उत्तरवस्था (३) उत्तमावस्था । ( १ ) विशेषण के जिस रूप से कोई तुलना सूचित नहीं होती उसे मुलावस्था कहते हैं; जैसे, उच्च स्थान, नम्र स्वभाव, घोर पाप । (२) विशेषण के जिस रूप से दो वस्तुओं में से किसी एक के गुण । की अधिकता वा न्यूनता जानी जाती है उसे उचरावस्था कहते हैं । वह रूप 'तर' प्रत्यय लगादे से बनता है; जैसे घोरतर पाप, दृढ़तर प्रमाण, गुरुतर दोप। ( ३ ) उमाबस्था बिशेण के उस रूप को कहते हैं जिससे दो से अधिक वस्तुओं में से किसी एक के गुण की अधिकता वा न्यूनता सूचित होती है । इस रूप की रचना “तम प्रत्यय लगाने से होती है; जैसे, उच्चतम आदर्श, लघुतम संख्या, प्राचीनतम काव्य । अभ्यास १---नीचे लिखे वाक्यों में विशेषणों के रूपांतर का कारण बताओ बुरे कर्म का फल बुरा होता है। वह लड़की सुशील है। लवे खेल उपयोगी होते हैं। इसके भीतर से दूध सरीखा रस निकलता है। ऐसे ऐसे नियम कड़े समझे जाते हैं । इस विपय में बड़े-बड़े पंडितों का मत अधूरा है। राम ने पिता के वचनों को पूरा किया । पतिव्रता स्त्री अपने पति की सेवा करती है। चाणक्य अपनी पुरानी कुटी से चला गया । राज्य की सीमा काम होने लगी । लड़की की अपेक्षा लड़का अधिक परिश्रमी है। ये नौकर बाहर से आए हैं। किसी-किसी मनुष्य की प्रचि सरलता की ओर होती है।