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( ६१ ) . (क) मनुष्यवाचक संज्ञाओं में पुरुष और स्त्री शब्द जोड़ते हैं,

जैसे, पुरुष-छात्र, स्त्री-छात्र, पुरुष-कवि, स्त्री-कवि, पुरुष-सदस्य, स्त्री-सदस्य।

' संस्कृत-शब्द • हिंदी-रूप संस्कृत-रूप स्त्रीलिंग/ हिंदी-रूप संस्कृत-रूप स्त्रीलिंग | राजा ( राजन् )- रानी विद्वान् (विद्वस्) विदुषी युवा (युवन )- युवती मानी ( मानिन ) मानिनी ' भगवान् ( भगवत् )- भगवती घाती ( घातिन् ) घातिनी श्रीमान् ( श्रीमन् )- श्रीमती हितकारी (हितकारिन् ) हितकारिणी ( १ ) व्यंजनांत संज्ञाओ में 'ई' लगाकर स्त्रीलिंग बनाते हैं। हिंदी | में संस्कृत के पुलिंग रूप प्रचलित नहीं है ।। ब्राह्मण-ब्राह्मणी कुमार-कुमारी । दास-दासी दूत-दूनी , देव-देवी सुंदर-सुंदरी । (२) अकारांत संज्ञाओं में अंत्य अ के स्थान में कई कर देते हैं । हिं०-८० सं०-८० स्त्री० हिं०-८० सं०-९० स्त्री० कर्चा ( फतृ ) के रचयिता (रचयितृ) रचयित्री दाता ( दात्री) दात्री कवयिता (कवयितु) कवियित्री ( ३ ) अकारांत संज्ञाओ में व्यंजन सज्ञाओं के समान संस्कृत के पुलिंग रूप में कई जोड़ते हैं। हिंदी में संस्कृत-रूप का स्वतंत्र प्रचार नहीं।। सुत--सुता तनय---तनया बाल-बाला • पंडित--पंडिता महाशय-महाशया शुद्र–शुद्रा