पृष्ठ:संक्षिप्त रामस्वयंवर.djvu/९

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थी जिस पर बादशाह ने कान्ह राठौर को आज्ञापत्र, खिलअतआदि के साथ भेजा था । शाहजहां के वादशाह होने पर सं०१६९२ वि० में ये अब्दुल्लाखां बहादुर के साथ रत्नपुर के राजा को दंड देने गये थे और इनके मध्यस्थ होने से संधि भी. हो गई थी। उसी वर्ष जुझार सिंह बुंँदेला के विद्रोह को दमन करने के लिए गये थे। ...... ....... .... . . .

अमरसिंह की मृत्यु पर उनका पुत्र अनूपसिंह राजा हुआ। सं०.१७०७ वि० में ओड़छानरेश पहाड़सिंह के डर से चौरा: गढ़ का भूम्याधिकारी हृदयराम अनूपसिंह की शरण में चला आया जिससे क्रुद्ध हो पहाड़सिंह ने इन पर चढ़ाई कर दी । अनूपसिंह हृदयराम को साथ लेकर नथूथर के पार्वत्य प्रदेश में चले गए । पहाड़सिंह ने रीवाँ नगर को लूट लिया।सं० १७१३ वि० में अनूपसिंह प्रयाग के सूवेदार, सलाबतखां सैयद के साथ दरवार में आये और बादशाह की कृपा से उसका.राज्य फिर उसे मिल गया। राजा रामचन्द्र की मृत्यु के अनंतर उनके अल्पवयस्क उत्तराधिकारियों के समय इस राज्य का प्रभाव और बल कम हो गया था और आसपास कई छोटे बड़े राज्य स्थापित हो गए थे।. ... ..-

अनूपसिंह की मृत्यु पर उनके पुत्र. भावसिंह राजा हुए। सं.१७४७. वि० के लगभग इनके पुत्र अनिरुद्धसिंह राजा हुए जो दस वर्ष राज्य करने के अनंतर मऊगंज के सेंगर ठाकुरों के हाथ मारे गए। इनके पुत्र अवधूतसिंह राजा हुए जिनकी . . . . . .