रामस्वयंबर। .. सोन महानद पाप बिनासी । लगे प्रसंस करनतपरासी॥४०८॥ राम को कौशिकहि बहारी । सुनहु देव विनती कछु मारी। कहौ नाथ' यहि देस कहानी । इतको भयो भूप जसखानी॥४०॥ . (दोहा) .. रघुपति अनुमति पाय कै, त्रिकालज्ञ मुनिराय। लग्यो सुनावन राम को, कथा प्रबंध लगाय ॥४१०॥ (छंद चौवोला) कथा कथत रघुनायक तुमसों बीति गई अधराता। .. जुगल बंधु अब सयन करीजै हैहैं पाउँ पिराता॥ . बहुत दूरि चलि आये मारग अति सुकुमार कुमारे । तुमहिं चलावत होत पंथ दुख कौसल्या के बारे ॥४१॥ (दोहा) मुनिजन कीजै सयन सब, हमहुँ कछुक अलसान । नवल नृपति-नंदन जुगल, नलिन नयन अरुनान ||१२|| सुखद सोन तट मुनि निकट, सोवत लछमन राम । ब्रह्म मुहात होत भो, जागे मुनि मतिधाम ॥४:३॥ अरुनाई.छाई ललित, प्राची दिसा निहारि।... मुनि.मंजुल बोले बचन, करि असमरन मुरारि ४१४॥.. करत सयन बीती निसा, भयो राम भिनसार। उठहु तात मजन करहु, सजन के आधार ॥४५।
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