पृष्ठ:संक्षिप्त रामस्वयंवर.djvu/४

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ने अपने ग्रंथ आनंदांबुनिधि में अपनी वंशावली यो लिखी है:-

वीरध्वज, व्याघ्रदेव, करन, सोहागदेव,

संग रामसिंह और विलासदेव जानिए।

भीमल, अनीकदेव, वलदेव, दलकेंद्र,

मलकेश, वुल्लार, बरियार भानिए।

सिंहदेव, भैरोदेव, नरहरि, भयददेव,

त्यो शांलिवाहन, धीरसिंह देव गानिए।

वीरमानु, रामसिंह, वीरभद्र, विक्रमजू,

अमर, अनूप, भावसिंह को वखानिए।।

भावसिंह महराज के, अनिरुधसिंह सुजान।

श्री अनिरुध महराज के, श्री अवधूत महान।।

महाराज अवधूत के, श्री अजीत बलवान।।

श्री अजीत महाराज के, श्री जैसिंह सुजान।।

महाराज जयसिंह के, धर्म-ज्ञान-यश-धाम।

महाराज नृप-मुकुटमणि, विश्वनाथ प्रदकाम।।

व्याघ्रदेव गुजरात के सोलंखी राजा के छोटे भाई थे और यात्रा के बहाने उत्तरी भारत में राज्य स्थापन करने के लिए आए थे। पहिले उन्होंने मुरफा दुर्गपर अधिकार कर लिया जो कालिंजर दुर्ग से नौ कोस पूर्व और उत्तर की ओर है। इसके अनंतर पिरहवन के राजा की पुत्री से विवाह किया और काल्पी से चांडालगढ़ तक राज्य फैलाया। इनके पुत्र कर्णदेव