पृष्ठ:संक्षिप्त रामस्वयंवर.djvu/२३९

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रामस्वयंवर।

रामस्वयंवर। २२३ सवैचारिका उजारे हनुमंत को हकारे वलवारे रखवारे हैं। आयुर्धान धारे निऊ नाथ के प्रचार ते वे सस अनियारे एकै वारहीं पवारे हैं ॥ तिनहि विसारे गृह खभ खचि भारे भारे महावीर रोप धार मारि तिन्हें डारे है । रघुराज मोद देनवारे राम जै पचारे कूदिक लिधारे द्वार केसरीदुलारे हैं ॥३९८ (दोहा) सुनि दससिर दंतनि दरत किंकर अली हजार । पठयो निज समबल प्रबल ह रह पवन कुमार ॥३६॥ खंड खंड किय दंड महँ मारुति प्रबल प्रचंड। पुनि प्रहस्तनुत मंत्रिसुत किया समर परिवंड ||४००|| अनगन्य पुनि सैन्य के पंच महा घलवान । अमरषि पठयो लंकपति धाये मग अलमान ॥४०॥ पंच अग्रगंता स्यन मारयो पवन कुमार। पठयो दशकंधर तुरत मानी अक्षकुमार ६४०२।। (कधिच) गयो उडि आसमान हनूमान देखि सोऊ किया है पयान चढ्यो जान जातुधान है। चलो सम्हारि कियो तल को प्रहार कपि घोड़े मरि गिरे चारि टूट्यो आसु जान है ॥ दपटि सो तेग धारि भपटि कोसौ प्रचारि पटक दिया है भूमि गयो ताको प्रान है। निपट निसंक बंक लंक में अतंक छोइ आइ वैव्यो तोरन तुरंत तेजवान है॥४०३॥