रामस्वयंबर (छंद कामरूप) यहि भाँति मिथिला नगर ते जब चली अवध घरात। मंत्री सुमंताह क्ह्यो भूपति उर न मोद समात ॥ भव चारि चार तुरंत दीजे अवधपुर पठवाय । बर अवधपुर सबभांति ते उत्त देहिं सुभग सजाय ॥१६५।। कोशल नगर के प्रजन घर घर देहु खबरि जनाव। मावत बरात विदेहपुर ते घर वधून लिवाय ।। तिहि भांति पुनि रनिवास मह जाहिर करावयु आसु । परछन तयारी करहिं भारी सहित विविध हुलासु ॥१६॥ सुनिस्वामिसासन सचिव कीन्हो सपदि सकल विधान। चदिकै तुरंग तुरंत धाये चारि चार प्रधान ॥ कोशल नगर घर घर सुचर घर जाय तिमि रनिवास । दीन्हे जनाय दरात आवत पंथ चार निवास ॥ १६६ ॥ परशुराम-मिलन (दोहा) यहि विधि मिथिला नगर ते गवनी जवै चरात । इक योजन में भयो तब, मारग में उत्पात ॥१६॥ (छंद कामरूप) लखि पो पश्चिम दिसि महा तहँ धूरि को धुधकार ! मुंधो दिवाकर भास चहुँक्ति है गयो अधियार । लागी चमकन तड़ित चहुँकित सोर मो मति घोर ।
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