पृष्ठ:संक्षिप्त रामचंद्रिका.djvu/५८

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घनी। गणपति' सुखदायक, पशुपति लायक, ..! . सर सहायक कौन गने । सेनापति , बुधजन', मगल, गुरु गण ( R) ?" धमेराज मन बुद्धि ___ बहु शुभ मनसाकर करुणामय अरु सुरतरगिनी' ° सेभिसनी ॥२७॥ " [हीरक छद] पंडितगण मडितगुण, दुडित-मति देखिए । क्षत्रिय वर धर्म-प्रवर क्रुद्ध समर लेखिए । वैश्य सहित-सत्य, रहित-पाप, प्रगट मानिए । शूद्र सकति, विप्र भगति, जीव जगत जानिए ॥२८॥ , [सिंहविलोकित छदं] " - अति, मुनि तन मन, तहँ माहि रह्यो । कछु बुधिबल वचन न जाइ कह्यो । । पशु पक्षि नारि नर, निरखि तबै । दिन, रामचद्र गुण गनत सबै ।।२९।। (१) गणपति = गण का स्वामी; गणेश। (२ ) पशुपति = घोडे हाथियो के रक्षक; महादेव । (३) सूर = योधा, सूर्य । (४) सेनापति = सेनानायक, कार्तिकेय । (५) बुध = बुध नामक नक्षत्र पडित । (६) मंगल = ग्रह का नाम, कल्याणमय । (७) गुरु = शिक्षक, बृहस्पति । (८) धर्मराज = न्यायाधीश; यम । (६) मनसाकर = मनचाहा दान देनेवाले, कामधेनु अथवा कल्पवृक्ष । (१०) सुर- तरगिणी = सरयू , स्वर्गगा, मदाकिनी ।