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[मदनहरा छद]
सँग सीता लक्ष्मन श्रीरघुन दन।
मातन के सुभ पाइ परे सब दुःख हरे॥
ऑसुन अन्हवाये भागनि आये।
जीवन पाये अंक भरे अरु अक धरे॥
ते बदन निहारै सरवसु वारै।
देहिं सवै सवहीन घनो अरु लेहिं घनो॥
तन मन न सँभारै यहै विचारै।
भाग बडो यह है अपना किधौ है सपनो॥२६॥
[स्वागता छद]
धाम धाम प्रति होति बधाई। लोक लोक तिनकी धुनि धाई॥
देखि देखि कपि अद्भुत लेखैं। जाहिं यत्र तित रामहिं देखै॥२७॥
दौरि दौिर कपि रावर' आवै। बार बार प्रति धामनि धावैं॥
देखि देखि तिनको दै तारी। भाँति भॉति विहँसै पुरनारी॥२८॥
राम-सुमित्रा-संवाद
राम-[दो०]इन सुग्रीव विभीषन, अ गद अरु हनुमान।
सदा भरत शत्रुघ्न सम, माता जी मै जान॥२९॥
सुमित्रा-[सो०] प्राननाथ रघुनाथ, जिय की जीवनमूरि है॥
लक्ष्मन हे तुम साथ, छमियहु चूक परी जो कछु॥३०॥
(१) रावर = रनवास।