नायिका के अंग-प्रत्यग का वर्णन है। कहते हैं कि पिंगल पर भी केशव ने कोई ग्रंथ लिखा था। उनका रामालकृत मजरी। नामक ग्रथ बतलाया जाता है, जो अब तक प्रकाश मे नहीं आया है। अनुमान होता है कि यही उनका पिंगल-अथ रहा होगा। जहाँगीर-जस-चद्रिका (स० १६६९ ) और वीरसिंहदेव- चरित्र ( स० १६६४) चरित-काव्य हैं जो अच्छे नहीं बने हैं। पहले में जहाँगीर का वर्णन है और दूसरे मे इंद्रजीतसिंह के भाई वीरसिंह का। रतनबावनी भूषण की शिवा-बावनी के ढग का एक छोटा सा वीररसपूर्ण अथ है जिसमे इद्रजीतसिंह के बड़े भाई रत्नसिंह की वीरता का वर्णन किया गया है, जिसने सोलहवे वर्ष की अवस्था मे ही युद्ध मे वीर-गति प्राप्त की थी। विज्ञानगीता (स० १६६७ ) मे केशव ने हिंदू दार्शनिक पद्धति से विरक्तिमूलक ज्ञान का वर्णन किया है। इसमें मानसिक भावों की सदसत्ता तथा उनके परस्पर साहाय्य और विरोध का उद्घाटन, रूपक का आश्रय लेकर, कथा के रूप में किया गया है। बौद्धों और सखी सप्रदायवालों की उसमें काफी निंदा की गई है। ___ परतु केशव का सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ रामचद्रिका है जिसमें उन्होंने रामचद्र का यशोगान किया है। इस समय हमारा इसी ग्रंथ से विशेष प्रयोजन है। प्रस्तुत ग्रथ रामचद्रिका का ही सक्षिप्त सस्करण है। अतएव हम यहाँ पर इसी प्रथ के सबध में कुछ विचार करेगे।
पृष्ठ:संक्षिप्त रामचंद्रिका.djvu/१७
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।