पृष्ठ:संक्षिप्त रामचंद्रिका.djvu/१०३

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( ५३ ) कौशल्या और राम [मौक्तिकदाम छद। गये तहँ राम जहाँ निज मात । कही यह बात कि हैं बन जात ॥ कछू जनि जी दुख पावहु माइ। सो देहु अशीष मिलौं फिरि आइ ॥६॥ कौशल्या-रहो चुप है सुत क्यों बन जाहु । न देखि सकै तिनके उर दाहु ||sanch लगी अब बाप तुम्हारेहि बाइ। CTET AN कर उलटी बिधि क्यों कहि जाइ ॥७॥ R am [ब्रह्मरूपक छट] रास-अन्न देइ सीख देइ राखि लेइ प्राण जात । ५.', - राज बाप मोल लै करै जो दीह पोषि गात ॥ Hic) दास होइ पुत्र होइ शिष्य होइ कोइ माइ। शासना' न मानई तौ कोटि जन्म नर्क जाइ ।। ८ ॥ mh [हरनी छद] कौशल्या-मोहि चलौ वन सग लियै । पुत्र तुम्हें हम देखि जियै ॥ औधपुरी सहँ गाज परै । के अब राज भरत्थ करै ॥९॥ ___ [ तोमर छद] | राम-तुम क्यों चलो बन आजु । जिन सीस राजत राजु । जिय जानिए पतिदेव । करि सर्वभॉतिन सेव ॥१०॥ (१) शासना = आज्ञा।