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प्रत्येक हीरे की कीमत उसके रूप और द्युति के अनुसार होती है। किसी की थोड़ी होती है, किसी की बहुत। कल्पना कीजिए कि किसी हीरे की कीमत फी कैरट १०० रुपये के हिसाब से निश्चित हुई, तो दो कैरट की कीमत २×२ = १०० = ४०० रुपये और तीन कैरट की कीमत ३×३×१०० = ९०० रुपये हुए। अब यह जो नया हीरा निकला है, इसकी कीमत इसी हिसाब से लगाइए। इसका वज़न है ३०३२ कैरट। अतएव ३०३२×३०३२×१०० = ९१९,३०,२,४०० रुपये कीमत हुई। एक अरब के करीब। कौन इतनी कीमत देगा? जब से आफ- रीका में हीरे निकलने लगे, तब से हीरों की कीमत नियत करने का यह तरीका उठ गया। परन्तु जौहरियों का अन्दाजा है कि यह विशाल हीरा ७५,००,००० से १,५०,००,००० रुपये तक बिक जायगा। इतना रुपया क्या थोड़ा है! बहुधा ऐसा होता है कि बड़े बड़े हीरों को काट काट कर छोटे छोटे टुकड़े कर डाले जाते हैं। इस तरह उन्हें बेचने में सुभीता होता है। सम्भव है, इस हीरे की भी यही दशा हो। परन्तु इतने अच्छे और इतने बड़े हीरे को छिन्न-भिन्न कर देना बड़ी क्रूरता का काम होगा। तथापि बड़े बड़े हीरों को रखना धोखे और खतरे में पड़ना है। इतिहास इस बात की गवाही दे रहा है कि जिनके पास बड़े बड़े हीरे रहे हैं, उन्हें अनेक आपदाओ में फँसना पड़ा है।

टिफ़ानी नाम की खान से ९६९ कैरट वज़न का जो हीरा निकला था, वह आज तक सब से बड़ा समझा जाता था। पर

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