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चला और सागर के बीच, नियत स्थान पर, वे दोनों एकत्र हुए। तब वहाँ से तार डालना शुरू किया गया। परन्तु फिर भी विघ्नों ने पीछा न छोड़ा। सात दफे केबिल टूटा और सातों दफे वह जोड़ा गया। आठवीं दफ़े फिर टूटा। उस समय जहाज़ फिर एक तूफ़ान में पड़ गये। तूफ़ान से, उनके ऊपर, कप्तान के कमरे के सारे यंत्र बिगड़ गये। जहाज़ चलाने के साधन नष्ट हो गये। अन्त को आजिज़ आकर वे लोग उन जहाज़ों को किसी तरह बन्दरगाह पर लौटा लाये। केबिल डालने के काम में फिर भी सफलता न हुई।

परन्तु उन साहसी और दृढप्रतिज्ञ लोगों ने हार न मानी। तीसरी दफे फिर भी वे वह काम करने निकले। इस दफे सफलता हुई अवश्य, पर विघ्न-बाधाओं ने इस दफे भी उनके नाकों दम कर दिया। एक बार एक बड़ी भयङ्कर मछली उस केबिल में फँस गई। जान पड़ा कि केबिल अब बिना टूटे न रहेगा। पर राम राम करके किसी तरह उन लोगों ने सफलता प्राप्त ही कर ली। सारे संकट झेल कर १६ अगस्त १७५७ को उन्होंने अमेरिका का सम्बन्ध तार द्वारा योरप से कर दिया। उस दिन सबसे पहली ख़बर जो भेजी गई, वह यह थी -- "योरप और अमेरिका का सम्बन्ध तार द्वारा हो गया। परमेश्वर का जयजयकार! पृथ्वी पर सर्वत्र शान्ति रहे!"

यह केवल एक वर्ष चला। इसके बाद बन्द हो गया। उस से ख़बरें भेजना असम्भव हो गया।

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