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१९०९ ईसवी में हिन्दुस्तानियों ने अपना एक प्रतिनिधि- दल हिन्दुस्तान को और दूसरा इंगलैंड को भेजना चाहा। वे दोनों दल रवाना होने ही वाले थे कि सरकार ने उन्हें पकड़ लिया और दल के सभी सभ्यों को जेल भेज दिया। पर हिन्दु- स्तानियों ने, कुछ समय बाद, अपना एक प्रतिनिधि-दल इँगलैंड भेज ही दिया। उसने वहाँ पहुँच कर खूब आन्दोलन किया।

हिन्दुस्तान को अकेले मिस्टर पोलक ही भेजे गये। उन्होंने यहाँ श्रीयुत गोखले की भारत-सेवक-समिति ( Servants of India Society ) की सहायता से प्रजा-मत को खूब जाग्रत किया। सहायता भी उन्हें खूब मिली। रतन जे० ताता नामक प्रसिद्ध पारसी सज्जन ने अपने भाइयों को धन द्वारा अच्छी सहायता दी।

हिन्दुस्तान की गवर्नमेंट के ज़ोर देने पर, विलायत की बड़ी सरकार ने बीच में पड़कर देश-निकाले की सज़ा पाये हुए हिन्दुस्तानियों को फिर ट्रांसवाल लौट जाने की आज्ञा दिलाई। इस बीच में बेचारे हिन्दुस्तानियों को अनन्त यातनायें भोगनी पड़ीं।

इसके बाद केप कालोनी, नेटाल, ट्रांसवाल और आरेञ्ज- फ्री-स्टेट ये चारों प्रदेश एक में जोड़ दिये गये और सबके ऊपर एक गवर्नर जनरल नियत हुआ। सब का नाम हुआ -- सम्मिलित राज्य। तब, १९१० ईसवी में, ब्रिटिश गवर्नमेंट ने सम्मिलित राज्य की सरकार को लिखा कि १९०७ ईसवी

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