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नहर के अधिकारियों की आमदनी जैसे जैसे बढ़ती जाती है, वैसे ही वैसे महसूल भी कम होता जाता है। शुरू में जब नहर खुली थी, तब भरे हुए माल के जहाज़ों का महसूल छ: रुपये फ़ी टन ( सवा सत्ताईस मन ) था। सन् १८८० में तीन आने टन कम हो गया; अर्थात् पाँच रुपये तेरह आने टन रह गया। कुछ दिनों बाद महसूल और भी घटा कर साढ़े चार रुपये टन कर दिया गया, जो इस समय तक बना हुआ है। मुसाफ़िरी जहाज़ों का महसूल छः रुपये टन जैसा पहले था, वैसा ही अब भी है। कम्पनी का रिज़र्व फण्ड ( अलग रख दिया गया धन ) इस समय २,५०,००,००० रुपये है। इसके सिवा एक विशेष फण्ड और भी है, जिससे नहर की मरम्मत और उन्नति के लिए यन्त्र आदि ख़रीदे जाते हैं। इस फण्ड में इस समय १,८०,००,००० रुपये हैं।

ब्रिटिश गवर्नमेंट के लिए यह नहर बड़े ही काम की चीज़ है। इसी से इसकी रक्षा प्राण-पण से की जा रही है।

[जनवरी १९१५.
 

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