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तुर्कों का उत्थान और पतन

लगभग छ: सौ वर्ष बीते कि तुर्क नाम की एक छोटी सी जाति उद्दण्ड मङ्गोल लोगों के भय से अपने घर, मध्य एशिया, से भाग कर आरमीनिया प्रदेश में पहुँची। वहाँ के सेलजूकवंशीय बादशाहों ने उसे अपनी शरण में लिया। चौदहवीं शताब्दी के आरम्भ में, मङ्गोल लोगों ने सेलजूक-साम्राज्य पर चढ़ाई कर दी। उसकी समाधि पर एक छोड़ दस छोटे-छोटे राज्य स्थापित हुए। भगोड़ी तुर्क जाति के तत्कालीन अधिपति का नाम था उसमान। वह भी इस विप्लव से लाभ उठाने में पीछे न रहा। उसने भी कुछ भूमि दबा ली और राजा बन बैठा। अपने साहस और बुद्धि-वैभव से उसने अन्य राजों को भी शीघ्र ही अपने अधीन कर लिया। तुर्कों का वही पहला स्वतन्त्र राजा हुआ। तुर्कों में उसी के नाम पर पहले-पहल सिक्के चले और मसजिदों में ख़ुतबा पढ़ा गया। उसी के नाम पर तुर्क लोगों का नाम उसमानी और उनके भावी साम्राज्य का नाम उसमानी साम्राज्य पड़ा। योरप की भाषाओं में, इसी उसमानी शब्द का अपभ्रंश आटोमन हो गया।

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