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हैं। लोग उन्हें पकड़ कर उस ओर खींचते हैं जिस ओर हवा चलती होती है। बड़ी युक्ति से व्योमयान पहियों और पट- रियों पर उतार लिया जाता है। अब उसका सब पानी नीचे गिरा दिया जाता है और वह पहियों, पटरियों और रस्सी खींचनेवालों की सहायता से गोदाम में पहुँचता है। यात्रियों के मित्र उनका स्वागत करने के लिए वहाँ खड़े रहते हैं। सीढ़ी लगाई जाती है और यात्री उतर आते हैं।

[ अक्टोबर १९१२.
 


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