प्रसिद्ध चित्रकार राजा रविवर्मा ने "प्राण-घातक माला" अथवा अज-विलाप नामक एक नया चित्र, इसी वर्ष, बनाया है। यह चित्र बहुत ही भाव-भरा अतएव मनोहर है। चित्र की कथा इस प्रकार है --
एक देवाङ्गना को मनुष्य-योनि में उत्पन्न होने का शाप
हुआ। जिस समय कोई दिव्य वस्तु का उससे स्पर्श हो, उस
समय वह अपना मनुष्य-शरीर छोड़ कर फिर देवाङ्गना हो --
यह उसके शाप की अवधि हुई। यह देवाङ्गना अयोध्या के
राजा अज की रानी इन्दुमती हुई। एक बार अज और इन्दु-
मती नगर के पास उपवन में विहार कर रहे थे। इन्दुमती
अज के अङ्क में थी। उसी समय नारद जी आकाश में गोकर्णे-
श्वर महादेव के दर्शनों को जा रहे थे। उनकी वीणा पर
दिव्य फूलों की एक माला थी। वायु के झोंके से वह माला
स्थान-च्युत हो कर इन्दुमती के ऊपर आ गिरी। उसके
गिरते ही इन्दुमती के प्राण चल बसे! उसके शाप की अवधि
पूरी हो गई। प्राणाधिका इन्दुमती को, इस प्रकार, सहसा
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