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दिन-पर-दिन बढ़ती जा रही है। क्रय-विक्रय का काम बड़ी ही गुप्त रीति से होता है। किसी को कानोकान खबर नहीं होने पाती।

इँगलैंड में लिबरल और कानसर्वेटिव नाम के दो बड़े राजनैतिक दल हैं। इन्हीं दोनों दलों के हाथ में घूम फिर कर इँगलैंड का शासन-सूत्र प्रायः रहता है। ये दोनों दल अपना अपना बल बढ़ाने का सदा यत्न किया करते हैं। इस काम के लिए इन्हें धन की आवश्यकता पड़ती है। इनके अनुयायी चन्दा कर के धन बटोरते हैं और अपने अपने पक्ष के ख़र्च के लिए सञ्चित करते रहते हैं। इन दोनों पक्षों के ऐसे आय-व्यय का हिसाब गुप्त रक्खा जाता है। वह कभी प्रकाशित नहीं किया जाता और न कोई उसे कभी देख सकता है। परन्तु इसमें सन्देह नहीं कि दोनों दलों का कोश खूब भरा-पूरा रहता है।

संसार की शायद ही कोई जाति पूरी उदार कही जा सकती हो। मनुष्य एस ही ईश्वर की सन्तति है। पर उसमें नीच और उच्च के भेद की प्रथा सब जगह, और सब जातियों में किसी न किसी रूप में, अवश्य है। सबको बराबर समझने की डींग हाँकनेवाली जातियाँ भी सङ्कीर्णता की दलदल में फँसी हुई हैं। अमेरिका स्वतन्त्र है और वहाँवाले उदार-हृदय कहलाते हैं। परन्तु जब काले-गोरे का प्रश्न उठता है, तब वहाँ के गोरों की उदारता प्रायः हवा खाने चली जाती है। परन्तु हाँ, इस में सन्देह नहीं कि कहीं का समाज घोर अन्धकार में

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