पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/६६८

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dardHownment +manPHON- म न+ HAR भक्तिसुधास्वाद तिलक । ..........६४९. १७ श्रीदामोदरजी | २३ श्रीप्रयागदासजी १८ श्रीनरहरिजी । भले प्रकार | २४ श्रीलोहंगजी १६ श्रीभगवानजी | अपने घर | २५ श्रीनागजी २० श्रीबालजी ही में शोभा २६ श्रीगोपालजी श्रीनागू के पुत्र २१ श्रीकान्हरजी पानेवाले ॥ २२ श्रीकेशोजी इन सब संतसेवी भक्तों के गृह में भक्तों की भीर बनी हो रहा करती थी॥ ( ५०९ ) छप्पय । ( ३३४ ) बद्रीनाथ, उड़ीसे, द्वारिका सेवक सब हरिभजन पर ॥ केसौ पुनि हरिनार्थ, भीम, खेता, गोविंद, ब्रह्मचारी। बालकृष्ण, बड़भरथ, अच्युत, अपयाँ, व्रत-धारी । पंडा गोपीनाथ, मुकुन्दी, गजपति, महाजस । गुलनिधि, जसगोपाल, देइँ भक्तनि को सरबस ॥ श्रीअंग सदा सानिधि रहैं कृत पुन्यपुंज भल भाग भर । बद्रीनाथ, उड़ीसे, द्वारिका सेवक सब हरिभजन पर ॥१०१॥(११३) वात्तिक तिलक । श्रीवदरिकाश्रम (श्रीवद्रीनाथ) जी में, उड़ीसा जगदीशक्षेत्र में और श्रीद्वारकापुरी में चारोधाम में श्रीजगन्नाथजी और श्रीरनछोर- टीकमजी के ये सेवक हरिभजन में परायण हुए।

१ श्रीकेशवजी

| ८ श्रीभीमजी

२ श्रीहरिनाथजी | श्रीखेताजी

३ श्रीब्रह्मचारीगोविन्दजी इन १० श्रीगोपीनाथ पंडाजी ये महा- ४ श्रीवालकृष्णजी ११ श्रीमुकुन्दजी यशयुक्त . ५ श्रीवड़भरतजी । सेवा १२ श्रीगजपतिजी ६ श्रीअच्युतजी काव्रत १३ श्रीगुणनिधिनी ७ श्रीअषयाजी किया १४ श्रीजसगोपालजी