पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/२८

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विभाव रस - अनुभाव सात्विक भाव व्यभिचारी भाव स्थायी भाव विषयालम्बन | आश्रयालम्बन उद्दीपन साथ साथ १ रोमाच ३३ भाव भोजन, | मित्र भाव निरन्तर लाललाडले भूषण, लखनजी, शिव, | धनुष, श्रीसुग्रीव, शर, श्रीविभीपण, मधुर- श्रीवीरमणि वचन, राजकुमार ___&c. इत्यादि खेल, मृगया, "सख्य रस" । मित्रसुखद द्विभुजसुदेष चतुर- शिरोमणि | सत्यसकल्प | सुखसिन्धु श्रीरामभद्र रघुनाथ अवधबिहारी श्रीरामचन्द्र विचित्र (पृष्ठ १५ देखिये ) परिहास ३ प्रलय ४ स्वेद ५ विवर्ण ६ कम्प ७ अश्रु ५ स्वरभंग (SS R S BP RK) &c भक्तिसुधास्वाद तिलक ।