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से यह अर्थ हुआ कि जिस के गुणों का सर्वोपरि भूषण प्रेम है वही चंद्रमौलि है !!! शिव चिता भस्मधारी हैं इस से उन के उपासक भी भस्म लगाया करते हैं जिस से बहुत डाक्टरों को मतानुसार शरीर के अनेक रोग नाश होते हैं ! और बिजली की शक्ति बढ़ती है पर आत्मा को भी यह लाभ हो सकता है कि जब २ अपने शरीर की देखेंगे तब २ प्रभु के चिता भस्म लेपन की सुध होगी और चिता का ध्यान होते ही संसार को अनित्यता का कारण बना रहेगे ! अगले बुद्धिमानों का वचन है कि 'ईश्वर और मृत्यु को सदा याद रखना चाहिए, ! इस से बहुतेरी बुराइयां छुटी रहती हैं ! इसी भांति रुद्राक्ष एवं बड़े २ बाल भी स्वास्थ्य के लिए उपयोगी हैं पर यह विषय अन्य है अतः केवल वर्णनीय विषय लिखा जाता है ।

शिवमूर्ति के गले में विष की श्वामता का चिन्ह होता है जब समुद्र के मथने के समय महा तीक्ष्ण हलाहल निकला और कोई उसकी भार न सह सका तब आप उसे पान कर गए ! तभी से गरल कंठ कहलाते हैं इस पर थी पुष्पदंताचार्य में कितना अच्छा सिद्धांत निकाला है कि ‘विकारोपिश्लाघ्यो भुवन भयभंग व्यसनिनां' यहां हम शिव भक्तों से प्रश्न करेंगे कि जब हमारे प्रभु ने जगत की रक्षा के हेतु विष तक पी लिया है तो हमें निज देश के हिताधे क्या कुछ भी कष्ट अथवा हानि न सहनी चाहिए ?

उन के एक हाथ में त्रिशूल है अर्थात् दैहिक दैविक