पृष्ठ:शृङ्गारनिर्णय.pdf/१०

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7 शृङ्गारनिर्णय। जुवा सुन्दरौ गुनभरी तीन नायिका लेखि सोभा कान्ति सुदीप्तियुत नखसिख प्रभा विसे खि॥ सोमा यथा---कवित्त। दास आसपास आली ढारती चंवर भावै लोमो ह भवर अरविन्द से बदन मैं । केती स. हवासिनी सुवासिनी खवासिनीहू नैन जो हैं बैठी बड़ी आपने हदन मैं ॥ सची सुन्दरी है रतिरंभा औ वृताची पै न ऐसौ सचिराची कहूं काहू के कदन मैं । पूरौ चित चायनि गोविन्द सुखदा- इनि औराधा ठकुराइन बिराजति सदन मै कान्ति- पहिरत रावर धरत यह लाल सारी जोति जरतारीहूं से अधिक सोहाई है । नाक मोती निन्दत पदमराग रंगनिको खुलित ललित मिलि अधर ललाई है ॥ और दास भूषन स- जत निज सोभा हित भामिनी तू भूषननि सोभा सरसाई है । लागत बिमल गात रूपन के आ- भरन बढ़ि जात रूप जातरूप ते सवाई है। - f-यथा।