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शिवा बावनी

शिवा वावनी दिया, जिसने बात की बात में रुस्तमे जमा खाँ को मिट्टी में मिला दिया और जिसकी भागज़ प्राजभी हृदय को कँपा रही है, हे मित्रो, उस बहादुर शिवा जी का पता चारों तरफ से लगाये रहो कि वह कहां तक आ गया है। टिप्पणी मयदान मारा-विजय पाई। सालति- खटकती है। चकता=ग़ताई खां के वंश में उत्पन्न हुआ औरङ्गशेन । चहुँ धा=चारों तरफ । फिरंगाने फिकिरि श्री हदमनि हबसाने, भूषन भनत कोऊ सोवत न घरी है। बीजापुर विपति बिडरि सुनि भाजे सब, दिल्ली-दरगाह बीच परी खरभरी है। राजन के राज सब साहन के सिरताज, आज सिवराज पातसाही चित धरी है। बलख बुखारे कसमीर लौं परी पुकार, धाम धाम धूमधाम रूम साम परी है ॥३३॥ भावार्थ आज राजाधिराज महाराजा शिवाजी ने सम्राट होने की इच्छा की है । बेचारे फिरंगी चिंता के मारे और अफ्रीकावासी भय से घड़ी भर भी आंख नहीं बन्द कर सकते । बीजापुर का सर्वनाश सुनकर सब तितर बितर हो गये हैं। दिल्ली के बाद- शाही दरबार में घबड़ाहट मच रही है। शिवाजी के प्रताप की