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शिवा बावनी

शिवा बावनी टिप्पणी यहां कोक्ति अलंकार है। जहां पहले किसी बात को कह कर उसी की उपमा किसी कहावत ( लोकोक्ति) से दी जाती है, वहां छेकोक्ति अल- बार होता है। यहां औरंगज़ेब के कपट को "बिल्ली की उपमा लोकोक्ति से दी गई है। तसबीह (फ्रारमी ) माला । बप-बाप, अनुप्रास के लिए 'वप कर दिया है । सगोत=अपने गोत्र ( घंश )वाखे । कैयक हजार जहां गुर्ज घरदार ठाड़े, करि के हस्यार नीति पकरि समाज की। राजा जसवंत को बुलाय के निकट राख्यो, तेऊ लखें नीरे जिन्हें लाज स्वामि काज की । भूषन तबहुं ठठकत ही गुसुल खाने, सिंह लौं झपट गुनि साह महाराज की। हटकि हथ्यार फड़ बांधि उमरावन की, कीन्ही तब नौरंग ने भेंट सिवराज की ॥१५॥ भावार्थ जब औरंगजेब ने शिवाजी को अपने पास मिलने के लिये बुलाया, तब शाही दरबार करने के कायदे से कई हजार गदाधारी वीर-पुरुष सावधानी से खड़े कर दिये, जोधपुर- नरेश महाराजा यशवन्तसिंह को बुला कर अपने पास बिठा लिया, और और भी बहुत से स्वामि-भक्त सरदार बादशाह की