४ ठाकुरसाद त्रिवेदी (२) अलीगंज,ज़िले खीरी । विद्यमान हैं। सत्कवि हैं ॥ १२० सफ़ा ॥ १ ढाखन कवि । इनका महाअदभुत काव्य है ॥ १२० सफ़ा ॥ १ श्रीगोस्वामी तुलसीदासजी (१), सं० १६०१ में उ० । यह महाराज सरवरिया ब्राह्मण राजापुर, ज़िले प्रयाग के रहने वाले और संवत् १५८३ के लगभग उत्पन्न हुए थे । संवत् १६८० में स्वर्गवास हुआ । इनके जीवन चरित्र की पुस्तक वेणीमाधवदास कवि पसका-ग्रामवासी ने, जो इनके साथ-साथ रहे,बहुत विस्तार पूर्वक लिखी है । उसके देखने से इन महाराज के सब चरित्र प्रकट होते हैं । इस पुस्तक में ऐसी विस्तृत कथा को हम कहाँ तक संक्षेप में वर्णन करें । निदान गोस्वामीजी बड़े महात्मा रामो- पासक महायोगी सिद्ध हो गये हैं । इनके बनाये ग्रन्थों की टीक टीक संख्या हमको मालूम नहीं हुई । केवल जो ग्रंथ हमने देखे, अथवा हमारे पुस्तकालय में हैं, उनका ज़िकर किया जाता है । प्रथम ४६ काएड रामायण बनाया है, इस तफ़सील से, १ एक चौपाई-रामायण ७ काएड, २ कवितावली ७ काएड, ३ गीतावली ७ का एड, ४ छन्दावली ७ काएड, ५ वरवै ७ काएड, ६ दोहवली ७ काएड, ७ कुंडलिया ७ काएड। सिवा इन ४९ काएडों के १ सतसई, २ रामशलाका, ३ संकटमोचन, ४ हनुमराहुक, ५ कृष्णगीतावली, ६ जानकीमइल, ७ प्रार्वती मनल ८ करखाछन्द १ रोलाछन्द, १० फूलनाछंद इत्यादि और भी ग्रन्थ बनाये हैं । अन्त में विनयपत्रिका महाविचित्र मुक्तिरूप प्रज्ञानंदसागर ग्रंथ बनाया है । चौपाई गोस्वामी महाराज की ऐसी किसी कवि ने नहीं बना पाई, और न विनयपत्रिका के समान अद्भुत ग्रन्थ आजतक किसी कवि महात्मा ने रचा । इस
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कवियों के जीवनचरित्र