कवियों के जीवनचरित्र ४११
१ घनश्याम शुक्ल असनीवाले, सं० १६३५ में उ०।
यह कवि कविता में महानिपुण और बांधवनरेश के यहाँ थे ।
ग्रंथ तो पूरा हमने कोई नहीं पाया, इनके कवित्त २००
तक हमारे पास हैं । कालिदास ने भी इनके कवित्त हजारा
में लिखे हैं ॥ ८० सफ़ा ॥ (१)
२ घनआनंद कवि सं० १६१५ में उ० ।
यह कवि कविलोगों में महा उत्तम हो गये हैं ॥ ८२ सफ़ा ॥
३ घासीराम कवि, सं० १६८० में उ०।
कालिदास जी ने हजारा में इनके कवित्त लिखे हैं ॥८२ सफ़ा॥
४ घनराय कवि, सं० १६६२ में उ०।
५ घाघ कान्यकुंज अंतरबेदवाले सं० १७५३ में उ०।
इनके दोहा, छप्पे लोकोक्ति तथा नीतिसम्बन्धी सामयिक ग्रामीण
बोलचाल में विख्यात हैं ।
दोहा पुये चाम ते चाम कटावें, भुइ मा सकरे सोवै।
घाघ कहें ये तीनों भकुवा, उद्धरि जाइ फिरि रोवै।१॥
६ घासी भट्ट
१ चंद कवि प्राचीन बन्दीजन (१) संभलनिवासी, सं० १०६८ में उ०।
यह चंद कवि महाराजा बीसंलदेव चौहान रनथंभोरवाले के
प्राचीन कवीश्वर की औलाद में थे । संवत् ११२० में राजा
पृथ्वीराज चौहान के पास आकर मंत्री और कवीश्वर दोनों पद
को प्राप्त हुए । पृथ्वीराजरासा नाम एक ग्रन्थ में एक लक्ष
श्लोक भाषा के रचे । इसमें ६६ खएट हैं और पुरानी बोली
हिन्दुओं की है। इस ग्रंथ में चंद कवि ने संवत् १११० से
संवत् ११४६ तक पृथ्वीराज का जीवनचरित्र महाकविता के
साथ बहुत छंदों में वर्णित किया है । छप्पे छंद तो मानो इसी
कवि के हिस्से में था, जैसे चौपाई बंद श्रीगोसाई तुलसीदास के