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कत्रियों के जीवनचरित्र. ४०९


४२ ग्वाल प्राचीन (२) सं० १७९५ में उ० । इनके कवित्त हजारा में हैं। ७५ सफ़ा ॥ ४३ गुनदेव बुंदेलखंडी सं॰ १८५२ में उ०। कवित्त सुन्दर हैं ॥ ६४ सफ़ा। ॥ ४४ गुणाकर त्रिपाठी कॉंथा, जिला उन्नाव के निवासी विद्यमान हैं । संस्कृत और भाषा दोनों में काम करते हैं । ज्योतिषशास्त्र तो इनके घर में , बहुत काल से प्रसिद्ध चला आता है ।७७ सफ़ा। ४५ गजराज उपाध्याय काशीबासी सं० १८७४ में उ०। इस महाराज ने वृत्तधार नाम पिट्ग्ल और रामायण ये दो गध रचे हैं। ७५ सफ़ा ॥ ४६ गुलामराम कवि । कवित्त सुन्दर बनाये हैं ॥ ७३ सफ़ा ॥ ४७ गुलामी कवि । ऐजन्। ८२ सफ़ा ॥ ४८ गुनसिंधु कवि बुंदेलखंडी, सं० २८८२ में उ० । शृङ्गाररस के चोखे कवित्त हैं ।। ६६ सफ़ा ।। ४६ गोसाई कवि राजपूतानेवाले सं० १८८२ में ड० । नीति सम्बन्धी, सामयिक इनके दोहे बहुत अच्छे हैं ।६६ सफ़। । ५० गणेश कवि बन्दीजन बनारसी विद्यमान है । ये कवीश्वर महाराजा ईश्वरीनारायणसिंह काशीनरेश के यहाँ कविता में महानिपुण हैं।। ६६ सफ़ा ।। ५१ गीध कवि । फुटकर छप्पे दोहा, कवित्त हैं ॥ ७१ सफा ॥ ५२ गइडु कविराजपूतानेवाले, सं० १७७० में उ० । कूट,गूढ़ और सामयिक छप्पे इनके बहुत विख्यात हैं॥७२ सफ़ा ॥