कवियों के जीवनचरित्र
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खुमानजी ने प्रतिज्ञा करके एक ही रात्रि में ७०० श्लोक दिये । इनकी कविता देखने से इनकी कविता में दैवीशक्ति पाई जाती है । लक्ष्मणशतक और हनुमन्नखशिख, ये दो ग्रंथ इनके बनाये हुए हमारे पुस्तकालय में मौजूद हैं ॥ ५१ सफ़ा ॥
२ खुमान कवि ।
एक कांड अमरकोश का भाषा में छंदोबद्ध उल्था किया है ।
३ खुमानसिंह महाराजा खुमान राउत गुहलौत सिसोदिया चित्तौरगढ़ के प्राचीन राजा सं० ८१६ मे उ० ।
यह महाराज कविता में श्रति चतुर और कविलोगों के कल्पवृक्ष थे संवत् ६०० में इनके नाम से एक कवि ने खुमानरायसा नाम एक ग्रंथ बनाया है, जिसमें इनके वंशवाले प्रतापी महा राजों के और खुद इनके जीवनचरित्र लिखे हैं । टाड साहब ने राजस्थान में इस ग्रंथ का जिक्र किया है और लिखा है कि इस ग्रंथ के दो भाग हैं। प्रथम भाग तो खुमान सिंह के समय में बनाया गया, जिसमें पँवार राज का रामचंद्र से लेकर खुमान तक कुरसानामा है, और दसवीं सदी में जब कि मुसलमानों ने चित्तौर पर धावा किया और तेरहवीं सदी में जब अलाउद्दीन गोरी से युद्ध हुआ और चित्तौर लूटा गया, दूसरा भाग राना प्रतापसिंह के समय में बनाया गया, जिसमें राना प्रतापसिंह और अकबर बादशाह के युद्ध का वर्णन है ।।
४ खानखाना नवाव अब्दुलरहीम खानखाना चैररामखाँ के पुत्र रहीम और रहिमन छाप है सं० १५८० में उ० ।
यह महाविद्वान् अरबी, फारसी, तुरकी इत्यादि यावनी भाषा और संस्कृत तथा व्रजभाषा के बड़े पण्डित अकबर बादशाह की आँख की पुतली थे । इन्हीं के पिता वैरम की जवाँमर्दी और तदवीर से हुमायूँ को दुबारा चिक्क का राज्य प्राप्त हुआ | खानखानाजी