कविों के जीवनचरित्र
६३ केदार कवि चंदीजन सं० १२८० में उ० ।
यह महान कवीश्वर अलाउद्दीन गोरी के यहाँ थे, और यद्यपि इन की कविता हमारी नज़र से नहीं गुज़री, परन्तु हमने किसी तारीख में भी इनका जिक्र पढ़ा है ||
६४ कृपाराम कवि (३) ।
माधव सुलोचना चम्पू भाषा में बनाया |
६५ कृपाराम कवि ( ४ ) ।
हिततरंगिणी शृङ्गार दोहा छंद में एक ग्रंथ महाविचित्र काव्य बनाया ।।
६६ कुंजगोपी गौब्राह्मण जयपुर राज्य के वासी।
ऐजन ।।
६७ कृपाल कवि | ऐजन || ६८ कनक कवि सं० १७४० में उ० ।
ऐजन ॥
६६ कुम्भकर्ण रानाचित्तौड़ मीराबाई के पति सं० १४७५ के लगभग उ० ।
यह महाराना चित्तौड़ में संवत् १५०० के लगभग राजगद्दीपर बैठे और संवत् १५२५ में उदाना में इनके पुत्र ने इनको मार डाला। टाड साहब चित्तौड़ की हिन्दी तारीख से इनका जीवनचरित्र विस्तार पूर्वक लिखकर कहते हैं कि राना कुम्भा महान् कवि थे । नायिका भेदके ज्ञान में बड़े पर थे, और गीतगोविन्द का तिलक बहुत विस्तार पूर्वक बनाया है। प्रकट नहीं होता कि राना के कवि होने के कारण उनकी स्त्री मीराबाई ने काव्यशास्त्र को सीखा, अथवा मीराबाई के कवि होने से राना साहब कवि हो गये । मीराबाई का हाल हम मकार अक्षर में बहुत विस्तार से लिखेंगे ॥
- खोज से यह गलत साबित हुआ है। राना कुंभा मीरा के पति नहीं थे। मीरा का और इनका समय एक नहीं है।