- . . ऋ दः शायद दत्त कवि और कवि दत्त
एक ही न हों || ४२ सफ़ा ||
३३ काशीनाथ कवि, सं० १७५२ मे उ० ।
महाललित काव्य किया है | ३७ सफा ॥
३४ काशीराम कवि, सं० १७९५ में उ० ।
यह कवि निजामतखाँ सूबेदार आलमगीरी के साथ थे । कविता इनकी ललित हैं || ४५ सफ़ा ||
३५ कामताप्रसाद, सं० १६११ में उ० ।
इनके कवित टाकुरप्रसाद त्रिपाठी ने अपने संग्रह में लिखे हैं। किन्तु मुझे भ्रम है, शायद यह बाबू कामताप्रसाद असो थरवाले न हों, जो खींची भगवंतरायजू के वंश के सब विद्या में निपुण हैं | इनका नखशिख बहुत अच्छा है || ४६ सफा ||
३६ कबीर कवि, कबीरदास जोलाहा काशीवासी, सं० १६१०में उ० ।
इनके दो ग्रंथ अर्थात् बजिक और रमैनी मेरे पास हैं ।इनके चरित्र तो सब मनुष्यों को विदित हैं । कालिदासजू ने हज़ारे में इनका नाम भी लिखा है, इसलिये मैंने भी लिख दिया || ४७ सफ़ा ||
३७ किंकरगोविंद बुंदेलखण्डी, सं० १८१० में उ०।
शांत रस की इनकी कविता विचित्र है || ४८ सफा ||
३८ कालीराम कवि बुंदेलखंडी, सं० १८२६ मे उ० ।
सुंदर कविता की है ॥ ४८ सफा ||
३६ कल्याण कवि, सं० १७२६ मे ३० ।
इनकी कविता कालिदास ने हज़ारे में लिखी है ॥ ४० सफा ||
४० कमाल कवि कवरजू के पुत्र काशोस्थ, सं० १६३२ में उ० ।
ऐजन || ४० सफ़ा