यहाँ थे इनका ग्रन्थ मैंने कोई नहीं पाया । केवल किशोर-संग्रह नाम का एक इनका संग्रहीत ग्रन्थ मेरे पुस्तकालय में है, जिसमें सिवा सत्कवियों के इनका भी काव्य बहुत हैं || २६ सफा ||
१६ कादिर, कादिवस मुसल्मान पिहानीवाले सं० १६३५ में उ० ।
कविता में निपुण थे और सैय्यदइब्राहीम पिहानीवाले रसखान के शिष्य थे || २५ सफा ।।
१७ कृष्ण कवि (१), सं० १७४० में उ० ।
यह कवि श्रौरङ्गजेब बादशाह के यहाँ थे ।।
१८ कृष्णलाल कवि, सं० १८९४ में उ० ।
इनकी कविता शृंगार रस में उत्तम हैं।।३३१६ कृष्ण कचि ( २ ) जयपुरवाले, सं० १६७५ में उ० विहारीलाल कवि के शिष्य और महाराजा जयसिंह सवाई के सफा ॥ यहाँ नौकर थे | बिहारी सतसई का तिलक कवित्तों में विस्तारपूर्वक वार्तिकसहित बनाया है |॥ ३३ सफा ॥
२० कृष्ण कवि (३), सं० में उ० ।
नीति-संवन्धी फुटकर काव्य किया है || ३४ सफा || २१ कुजलाल कवि बन्दीजन मऊ, रानीपुरा, सं० १६१२ में उ० । ग्रन्थ कोई नहीं देखने में आया । फुटकर कवित्त देखे-सुने हैं ॥ ३४ सफ़ा ।।
२२ कुंदन कवि बुंदेलखण्डी, सं० १७५२ में उ० ।
नायिकाभेद का इनका ग्रंथ सुंदर है कालिदासजी ने इनका नाम हज़ारे में लिखा है ॥ ३५ सफा ॥
२३ कमलेश कवि, सं० १८७० में उ० ।
यहकवि महानिपुण कवि हो गये हैं। नायिकाभेद का इनका ग्रंथ महासुन्दर है ॥ ३५ सफा ।।