कामव्वज मारा बाप ॥ अर्थात् राजा जोधपुर और आमेर गद्दीन- शीनों को गद्दी से उठा सकते हैं । कूरम अर्थात् कछवाह राजा ने अपने पुत्र शिवसिंह को और कामध्वज अर्थात् राजा राठौर ने अपने पिता वखतसिंह का वध किया । टाड साहब राजस्थान में लिखते हैं कि कर्ण कवि राज्यसंबंधी कार्यों में युद्ध में और कविता में, इन तीनों बातों में महा निपुण था ॥
१० कुमारपाल महाराजा अनहलवाले, सं० १२२० में उ० ।
यह महाराज अनहलवाले के राजा थे, और कवीश्वरों का बड़ा मान करते थे। जैसे चंद कवि ने पृथ्वीराज के हालात में पृथ्वी-राजरायसा लिखा है, वैसे ही इन महाराज की वंशावली ब्रह्मा से लेकर इन तक एक कवीश्वर ने बनाकर उसका नाम कुमारपाल-चरित्र रक्खा ॥
११ कालिदास त्रिवेदी चनपुरा अंतरवेद के निवासी, सं० १७१६में उ०।
- यह कवि अंतरबेद में बड़े नामी-गरामी हुए हैं। प्रथम औरंगजेब बादशाह के साथ गोलकुंडा इत्यादि दक्षिण के देशों में बहुत दिन तक रहे । पीछे राजा जोगाजीतसिंह रघुवंशी महाराजा जंबू के यहाँ रहे, और उन्हीके नाम से वधूविनोद नाम का ग्रंथ महाअद्भुत बनाया । एक कालिदासहज़ारा नाम संग्रह ग्रंथ बनाया, जिसमें संवत् १४८० से लेकर अपने समय तक, अर्थात् संवत् १७७५ तक, के कवियों के एक हज़ार कवित्त, २१२. कवियों के लिखे हैं। मुझको इस ग्रंथ के बनाने में कालिदास के हज़ारे से बड़ी सहायता मिली है । एक ग्रन्थ और. जंजीराचंद नाम का महाविचित्र इन्हीं महाराज का मेरे पुस्तकालय. में है । इनके पुत्र उदयनाथ कवीन्द्र और पौत्र कवि दूलह बड़े भारी कवि हुए है ।।.२८ सफा ।। (?)