कवियों के जीवनचरित्र
१ उदयसिंह महाराजा मावार, सं० १५१२. में उ०।
ख्यात नाम ग्रंथ बनाया, जिसमें अपने, अपने पुत्र गजसिंह और अपने पोते यशवंतसिंह के जीवनचरित्र लिखे हैं ।
२ उदयनाथ बंदोजन काशीवासी, सं० १७११ में उ०।
उदयनाथ नाम कविन्द का भी है, जो कालिदास कवि के पुत्र और दूलह कवि बनपुरा -निवासी के पिता थे ॥ १७ सफ़ा ॥
३ उदेश भाट बुंदेलखण्डी, सं० १८१५ से उ० ।
सामथिक कवित्त बहुधा कहे है ॥ १७ सफ़ा ॥
४ ऊधोराम कवि, ० १६१० में उ० ।
इनकी कविता कालिदासजू ने अपने हज़ारे में लिखी है । १७ सफ़ा ॥
५ ऊधो । कवि, सं० १८५३ में उ० ।
सामान्य कवि थे । ॥ १८ सफ़ा ॥
६ उमेद कवि, सं० १८५३ में उ०।
इन का नखशिख सुंदर है । मालूम होता है, यह कवि अंतरखेद अथत्रा शहजहांपुर के निकट किसी गाँव के रहने वाले थे । १८ सफ़ा ।।
७ उपराबासंह पंवार केंदगाँव, ज़िले सीतापुर । विद्यमान हैं। ।
कुछ कविता करते और कविलोगों का सत्संग रखते हैं । १८ सफ़ा ।
८ उनयार के राजा कछवाह, सं० १८८० में उ०।
भाषाभूषण और बलभद्र के अखशिख का तिलक बहुत विचित्र बनाया है। नाम हमारी किताब से जाता रहा । उनियारा एक रियासत का नाम है, जो जयपुर में है । {{c|१ केशवदास लताठ्य मिश्र (१) बुंदेलखंडी, सं० १६२४ में उ०।|} इनका प्राचीन निवास टेहरी था ! राजा मधुकरशाह उड़छावाले के यहाँ आये , और इनका बड़ा सम्मान हुआ। राजा इंद्रजीत सिंह ने २१ गाँव संकल्प कर दिये । तब कुटुंब-सहित उड़छे में रहने