वंशावली का बनवाया है । इस ग्रंथ में वंशावली जयचन्द राठौर
महाराजा कन्नौज की तब से प्रारंभ की है, जब नयनपाल ने
संवत् ५२६ में कन्नौज को फ़ते करके अजयपाल राजा कन्नौज का
वध किया था । तब से लेकर राजा जयचंद तक सब हालात
लिख फिर दूसरे खएड में राजा यशवंतसिंह के मरण अर्थात् संवत्
१७३५ तक के सब हाल लिखे हैं । तीसरे खएड़ में सूर्य-वंश जहाँ से प्रारंभ हुआ वहां से यशवंतसिंह के पुत्र अजीतसिंह के बालेपन अर्थात् १७८७ तक का वर्णन किया है ।
१ इच्छाराम अवस्थी पचरुवा इलाके हैदरगढ़ के, सं० १८५५ में उ०।
ब्रह्मविलास नाप ग्रन्थ वेदांत में बहुत बड़ा बनाया है । यह बड़े
सत्॒-कवि थे ॥ १६ सफ़ा ॥
२ ईश्वर कवि, सं० १७३० में उ०।
यह कवि औरंगजेब के यहाँ थे । कविता सरस है। ॥ १५ सफ़ा ॥
३ इन्टुकवि, सं० १७७६ में उ०।
यह कवि सामान्य हैं ॥ १५ सफ़ा ॥
४ ईश्वरीप्रसाद त्रिपाठी पीरनगर ज़िले सीतापुर, विद्यमान हैं।
रामविलास ग्रंथ, वाल्मीकीय रामायण का उल्था, नाना छन्दों में काव्यरीिति से किया है ॥ १५ संफ़ा ॥
५ ईश कवि सं० १७६६ में उ०।
श्रृंगार और शांत रस की इनकी कविता बहुत ही ललित है । १६ सफा ।
६ इंद्रजीत त्रिपाठी बनपुरा अंतरबेदवाले, सं० १७३ह में उ०।
औरंगजेब के नौकर थे ॥ १६ सफ़ा । {{c|७ ईस्फ़ खाँ कवि, सं० १७६१ में उ०। सतसई और रसिकप्रिया की टीका की है।।