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ये ५ और ६ नयर के अवधेश एक ही हैं।
यह १७६० के लगभग हुए हैं । मुंशी देवीप्रसाद, जो
राजपूताने के एक प्रसिद्ध विद्वान और ऐतिहासिक लेखक माने जाते थे, उनके पास नालम और शेख के ५०० के लगभग छेद मौजूद थे। ग्रंथ कोई नहीं मिलता।
इनका रचना-काल १७६१ है, इसलिये जन्मकाल १७११ न
होकर १७५० के लगभग होना चाहिए।
इनका जन्मकाल १६२२ नहीं, १६५० के लगभग होना चाहिए क्योकि यह शाहजहाँ के यहाँ थे । १६२२ में तो शाहजहाँ
का या इनका जन्म भी न हुआ होगा । इन्होंने १६८७ में समरसार ग्रंथ बनाया है।होना चाहिए। कारण, इन्होंने १७४५ में होनेवाली गोलकुंडा की लड़ाई का वर्णन औरंगजेब के साथ रहकर, प्रत्यक्षदर्शी की
तरह किया है ।