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शिवसिंहसरोज


श्रीगोसाई तुलसीदास इनके दरबार में हाजिर नहीं हुए । सूरदासजी और उनके पिता बाबा रामदास गानेवालों में नौकर थे, जैसा कि आई-कवरी में लिखा है । केशवदासजी उस समय में इन मंत्री श्रीराजा बीरवल के दरबार में हाजिर हुए। थे, जब इन्द्रजीत राजा उड़छा बुंदेलखएडी परं प्रवीनराइ पातुर के लिये बादशाही कोप था।

दोहा—जाको जस है जगत में, जगत सराहै जाहि ।

ताको जीवन सफल है, कहत अकबर साहि ॥ १.सफ़॥

२ अजवेश प्राचीन (१), सं० १५७० में उ०।

यह कवि श्रीराजा वीरभानुसिंह, जोधपुर के यहाँ थे, और उसी देश के रहने वाले थे वरदीजन मालूम होते हैं ॥ २ सफ़ा ॥

३ अजवेश नवनि भाट (२ ),१८६२ में उ० ।

यह कवि श्रीमहाराजा विश्वनाथसिंह बान्धव-नरेश के यहाँ थे ॥ २ सफ़ा ।

४ अयोध्यप्रसाद बाजपेयी सातनपुरवा, जिला रायबरेली, औछ छप है। विद्यमान हैं।

यह कवि संस्कृत और भाषाके महान् पण्डित आजतक विद्यामान हैं । इनकी कविता बहुत सरस और अनोखी है । छन्दानन्द, साहित्यसुधासागर राम कवितावली इत्यादि ग्रंथ बनाये और बहुधां श्रीअयोध्याजी में बाधा रघुनाथदास महन्त और चन्दापुर में राजा जगमोहन सिंह के यहाँ रहा करते हैं ॥ ३ सफ़ा ॥

५ ध्षधेश ब्राह्मण बुंदेलखण्डी, चरखारी, सं० १०१ में उ०।

यह कवि राजा रतनसिंह बुंदेला चरखारी आधिपति के कदीम कवि हैं । इनकी कविता सरस है । परतु मैंने कोई ग्रन्थ इनका नहीं पाया ॥ ४ सफ़ा ॥