पृष्ठ:शिवसिंह सरोज.djvu/२२५

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शिवसिंहसरोज

२२६ शिवासिंहसरोज याँ ॥ ३ ॥ मानब बनाये देख दानव बनाये जच्छ किन्नर बनाये पशु च्छी नाग का हैं । दुग्द बनाये लघु दीरत्र बनाये लेते नागर उजागर बनायेनदी नारे हैं ॥ रचना सकल लोक लोकन बनाय ऐसी जुगुति में बेनी परवीनन के प्यारे हैं ।राधा को बनाय विभुि श्रोयोहाथ जायो रंग ता को भयो बंद कर झारे भये तोरहैं।४१५ कंकन कैरन कल किंकिनी कलित कटि कंचन लेंगूर केस कारी जॉमिनी कानन करनफूल कोमल कोल कंठ कंधु कपोतग्रीन कोलि कलामिनी ॥ केसरि कुसुम्भकलथौत की कगू न कांति कोबिंद प्रबीन बनी करिबरगामिनी । कोNकारिका सी किनरीक कन्पका सी धौं काम की कला सी कमला सी कोई कामिनी!!! बहरत छवि जिति छोरन लौं टी छटा बस कियेलन बकाये ही रति है । छीरद की छोहरी सी छपा सी प्रबनबेनी छपा में छपाकर की छाती में . लतिहै ॥ छला छाप छाज़त छरा के कर छिटकत् छवनि 0धत डैनडुति स। चंलति है। छीन क्लटि छोटी सी छबीलीमें छाँक भरि छाई छलछद छितिपालन छलति है ।६॥ ३७. बेनी प्रगट (४ ) नरवलवाल जल से थल खेर थल से घु जल थल महाल भल कुद्ध कुल डनमाथी को बरस कितेक बीती जुगुति च न कब बिना दील: बन्ड होत साँकरे में साथी को ॥ मन बच करम पुकारत लगढ़ बेनी नाथन के नाथ औ अनाथन-सनाथी को । बल करि हारे हाथा हाथी सत्र हाथी तब हाथीतथा ह'षि उबायो हरि हाथी क॥ १५ , लदेव कवि देवरा नगर बघेलखंड़वासी ( सत्काविगिरविलास ) चाहूिं:ओर लर्से बन बाग तड़ाग अनेक्रेन की छवि छाजत। १ हाथीi २ ब्रह्माी के हाथों में ।४ रात। ५-iट बिजली ।