पृष्ठ:शिवसिंह सरोज.djvu/१८१

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१६२
शिवसिंहसरोज

१६२ शिसिंहसरोज होत देखे अंग बालक प्रसंग स्वच्छ काछनी को का री ॥ कहैं। कवि नंद देख आईंद को कैद रूस को न फेंसि जात मंद हास- फंद आ री। मोहतीं ततच्छन जगी सी जंत्रलच्छन वे आजी आछी आछन की कुटिल कार्ड ॥ २ ॥ ३३८, नंदलाल कवि हीरा मोती लाल नींबू हरित जरद मनि हूँगा हेम बैदुरज रूप गाय बीर की । भूषन बसन धाम हाथी ह्य रथ भूमि दासी दास रानी दान करें घनी पीर की ॥ नैनबान मारि रूपफाँसी करीि बाँत्रि गरो नंदलाल मन चोरी तहाँ बिना सीर की। जमुना के तीर महाबारुनी परख माहैिं ऐसी मंहा चोरटी हैं गोरटी अहीर की ॥ १ ॥ चार फल चारि फूल चार घन शूमि रहे चारि फल जाचत पियत चंद माला के । चार मृत अंबुज के दावे कीर चंगुल सों सोहै। चारि चंद पति मूरति बिसाला के i चारि अलि गुजत सरोवर के फूलन में अरथ करो कबीस सोभा बिंदुसाला के । वारि ओर कहचकोर और नंदलाल लोचन अयाने छवि देखि नंदलाला के ॥ २ ॥ अमित सिखडिन की मंडी मुनि मंडल में झींगुर झकोर झिली झरप झरनै री । चंचल है चपला चमके चंड चारों और चातक चुनौती पीब-ीयदि अलाप री ॥ कहै नंदलाल गाढ़ अगम आसाढ़ आयो दादुर दरेरन की दरंत दरमै री । एरी उर काँपे माननाथ बिजा मै अब कौन सहै दf रखान की धरा पै री 1३ । .३३६ नंदराम कवि यानि तमामै नर जमै पाइ रमै भजु द्ध धन धामै है बेका. सत्र समै रे । लोभ रसरा में मैन- प्रस्यो फसरा में जमराज खसरा लिख है तू नमै रे ॥. और वसुधा मैं कहूं पैहै न मरामै १ मेरी की।२लाई ३ नुष्य का शरीर 1वलामान।५ नाकामअसफल । 3 n २५ h ) . A n