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शिवशम्भु के चिट्ठे


घोर दुःखके साथ कैसे हुआ! आह! घमण्डी खिलाड़ी समझता है कि दूसरोंको अपनी लीला दिखाता हूं। किन्तु परदेके पीछे एक और ही लीलामयकी लीला हो रही है, यह उसे खबर नहीं!

एक बार बम्बईमें उतरकर, माइ लार्ड! आपने जो इरादे जाहिर किये थे, ज़रा देखिये तो उनमें से कौन-कौन पूरे हुए? आपने कहा था कि यहांसे जाते समय भारतवर्षको ऐसा कर जाऊंगा कि मेरे बाद आनेवाले बड़े लाटोंको वर्षों तक कुछ करना न पड़ेगा, वह कितने ही वर्षों सुखकी नींद सोते रहेंगे। किन्तु बात उलटी हुई। आपको स्वयं इस बार बेचैनी उठानी पड़ी है और इस देशमें जैसी अशान्ति आप फैला चले हैं, उसके मिटाने में आपके पदपर आनेवालोंको न जाने कब तक नींद और भूख हराम करना पड़ेगा। इस बार आपने अपना बिस्तरा गर्म राखपर रखा है और भारत-वासियोंको गर्म तवे पर पानीकी बूंदोंकी भांति नचाया है। आप स्वयं भी खुशी न हो सके और यहांकी प्रजाको सुखी न होने दिया, इसका लोगोंके चित्तपर बड़ा ही दुःख है।

विचारिये तो क्या शान आपकी इस देश में थी और अब क्या हो गई! कितने ऊंचे होकर आप कितने नीचे गिरे! अलिफलैलाके अलहदीनने चिराग रगड़कर और अबुलहसनने बगदादके खलीफाकी गद्दीपर आंख खोलकर वह शान न देखी, जो दिल्ली-दरबारमें आपने देखी। आपकी और आपकी लेडीकी कुरसी सोनेकी थी और आपके प्रभु महाराजके छोटे भाई और उनकी पत्नीकी चांदीकी। आप दहने थे, वह बायें; आप प्रथम थे, वह दूसरे। इस देशके सब राजा-रईसोंने आपको सलाम पहले किया और बादशाहके भाईको पीछे। जुलूसमें में आपका हाथी सबसे आगे और सबसे ऊँचा था, हौदा-चंवर-छत्र आदि सबसे बढ़-चढ़कर थे। सारांश यह कि ईश्वर और महाराज एडवर्डके बाद इस देशमें आप ही का दरजा था। किन्तु अब देखते हैं कि जंगी-लाटके मुकाबिलेमें आपने पटखनी खाई, सिर के बल नीचे आ रहे! आपके स्वदेशमें वही ऊंचे माने गये, आपको साफ नीचा देखना पड़ा। पदत्यागकी धमकीसे भी ऊंचे न हो सके!

आप बहुत धीर-गम्भीर प्रसिद्ध थे। उस सारी धीरता-गम्भीरताका आपने इस बार कौंसिल में बेकानूनी कानून पास करते और कनवोकेशनमें