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( २६६ ) "मैं तो यह सब नहीं जानता।" “जानोगे कैसे ? तुम तो उस समय अचेत थे।" "बाबा जी कहाँ गए ?" "तुम्हें मेरे घर रखकर वे पेड़ पर बैठकर आकाश में उड़ गए। "अब फिर कब आएँगे ?" "नहीं कह सकती। पर आएँगे अवश्य" । "तब फिर क्या हुआ ?" "अपनी देह में देखो तो क्या है ?" "क्या है ?" "ये सब चिन्ह कैसे हैं ?" "मैं कुछ नहीं जानता। "बाबा जिस समय तुम्हें निकालकर लाए थे तुम्हारे. शरीर भर में घाव ही धाव थे । नवीन ने चिकित्सा करके तुम्हें अच्छा किया है। युवक कुछ काल तक चुप रहकर बोला “मुझे किसी बात का स्मरण नहीं है। इतने में पीछे से नवीन ने पुकारा “भव ! बूढ़ा तुम्हें बुलाता है"। भव ने पूछा “किस लिए ?" नवीन -यह मैं नहीं जानता। भव-तो फिर मैं नहीं आती। युवक ने कहा "भव ! क्या तुम न जाओगी ? नवीन दुखी होगा, बुड्ढा चिढ़ेगा" | भव ने कहा "चाहे जो हो, मैं न जाऊँगी। युवक-तब फिर क्या करोगी? भव-गाना सुनोगे ? युवक-सुनू गा। युवती गाना छेड़ा ही. चाहती थी कि पीछे से बुड्ढे ने आकर पुकारा "भव ! इधर आ"।