पृष्ठ:वोल्गा से गंगा.pdf/७०

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६९. पुरहूत अबसे पहले एक जन दूसरेसे स्वतंत्र रहता था, महापितर की प्रधानता होने पर भी वह सब कुछ जनपर निर्भर करता था। किंतु वस्तु-तटके अंतिम संघर्षने कई जनों के एक सेनापति, इन्द्रको जन्म दिया |* --- | *आजसे एकसौ अस्सी पीढ़ी पहलेके आर्यजनकी • यह कहानी है। इन्हीं जनमें से कुकी सन्तार्ने अ.भारतकी ओर प्रस्थान करनेवाली थी । उस समय कृषि और तबका प्रयोग होने लगा था; आर्य दासत्ताको स्वीकृत कर उसे फिरले विस्मृत करना चाहते थे।