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वोल्गालै गंगा विरुद्ध राजनीतिक परतन्त्रतामें नहीं रखा जा सकता। पाकिस्तानका फैसला हिन्दुओंको नहीं करना है, उसकी निर्णायक है मुस्लिम बहुमत प्रान्तकी जनता । यदि हम भारतमें जनताका नहीं शोषकोका शासन कायम करना चाहेंगे, तो पाकिस्तान होकर रहेगा; यदि दिमाग्री और शारीरिक श्रम करने वाली जनताको शासन कायम करना चाहते हैं, तो भारत, अनेक स्वतन्त्र जातियोंको एक अखंड देश रहेगा। जवानी एक जाति, एक जातीयताके लिए एक भाषा, एक खान-पान, एक ब्याह-शादी सम्बन्धकी ज़रूरत है, जो साम्यवाद ही करा सकता है। इसपर भी भाषाके ड्यालसे हमें ६०से ऊपर स्वतंत्र जातियाँ माननी पड़ेगी।
- अस्सीसे ज़्यादा । तुमने तो पाकिस्तानको भी मात कर दिया । **भाषाको मैने नहीं बनाया जनताके राज्यमें उसकी मातृभाषा को ही शिक्षाको माध्यम बनाना होगा, और मातृभाषा वही है, जिसके व्याकरणमें बच्चाभी कभी गलती नहीं करता। सोवियत संघ ७० जातियों का एक बहुजातिक राष्ट्र है, उसमें दूनी जनसंख्या वाला भारत यदि १० जातियौको बहुजातिक राष्ट्र है, तो आश्चर्यको क्या ज़रूरत ११
"तो तुम पाकिस्तानके पक्षमे हो ? जब तक मुस्लिम जनताका उसके लिए आग्रह है। आज हर विचारके मुस्लिम नेता एकमत हैं, कि पाकिस्तानकी माँगको मान लेना चाहिये और मैं समझता हूँ गैर-मुस्लिमको इस न्याय्य मागको इकरानेका कोई हक्क नहीं, जिस मुसलमान बहुमत प्रान्तकी बहुसंख्यक जनता भारतीय संघसे अलग जाना चाहती है, उसे वह अधिकार होना चाहिये। नीचे काला समुद्र है, जिसके शान्त जलपर कहीं जातिका चिह्न नहीं मालूम होता और सामने दूर सफेद बादलोंका एक विशाल क्षेत्र वह आसमानमें अपनी गति जाननेका कोई साधन नहीं सिवाय गति