पृष्ठ:वोल्गा से गंगा.pdf/३७८

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सुमेर ३७७ यह बाकी खर्च छोड़नेपर हैं, यदि दूसरे खर्च भी लिए जायें तो मार्ग-व्यय और छुट्टी व्यय छोड़कर भी बगाल गवर्नरका सालाना खर्च है ६,०७,२०० रुपया अर्थात् घुरहू मजदुरकी आमदनीका ४२,२६१ गुना । इससे ज़रा मिलाइए इंगलैंडके मज़दूरको जिसकी अल्पतम मजदूरी ८५ शिलिग (साढे ५६ रु० से अधिक) या ७८ शिलिंग (५२ १० से अधिक ) प्रति सप्ताह कोयलेके खानोंमे मंजूर हुई है। खेतीके मजदूरभी ४५ रुपया सप्ताहसे ज्यादा पाते हैं। जिसका कार्य है २०० या २२१ पौंड वार्षिक मजदूरी और महामंत्री इस हिसाबसै सिर्फ ३६ गुना ज्यादा तनखाह पाता है। सोवियत १२००० रुबील महामंत्री को मिलता है, और मजदूरोंकी बहुत भारी तादाद है जो इतना वेतन पाती है, जबकि सबसे कम तनख्वाह पाने वाला मज़दूर उससे छठे हिस्सैसे कम नहीं पाता । अब मिलाइये--- भारतमे बंगाल गवर्नर बुरहूसे ४२,२६२ गुना इगलैंडमें महामन्त्री ३६ गुना सोवियतरूसमें , ६ गुना | और सेठोंकी आमदनीसे बुरहूकी आमदनीको मिलाओगे तो कलेजा फटने लगेगा ।" । यह सरासर बूट है भाई सुमेर । । | इसलिए मैं कहता हूँ, हिन्दुस्तान में नौकरी करनेवाले स्वार्थी, कायर दूर तक देखनेमे असमर्थ इन अंग्रेजोंसे हम कोई आशा नहीं कर सकते । इम इनके लिए इस लड़ाईको लड़ने और जीतने नहीं जा रहे हैं । इभ मर रहे हैं उस दुनियाके लिए जो इस पृथिवीके छठे हिस्सैपर है और जिसको फासिस्त ख़तम करने जा रहे हैं । हम उस आने वाली दुनिया के लिए मरने जा रहे हैं, जिसमेंकी मानवता स्वतंत्र और समृद्ध होगी।" समद अब तक चुप था, अब उसने भी कुछ पूछनेकी इच्छा से कहा