पृष्ठ:वोल्गा से गंगा.pdf/३७५

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वोल्गासै गंगा • *हवामे उड़ना भाई ! मुझे तो कोठेकी छतके किनारे खड़ा होने में भी डर लगता है ।

  • कितने ही लोगों को साइकलपर चढ़नेमें भी डर लगता है, और तुम उसे दोनों हाथ छोड़कर दौड़ाते हो । | बैर, लेकिन यह बात मेरी समझमें नहीं आई कि मजदूरिन लड़के सुमेरको इस साम्राज्यवादी लाईमें जान देनेकी क्यों सूझी ११ • "इसलिए कि इसी लड़ाईके साथ मजदूरिनके लड़के और उसकी सारी जमातका भविष्य में धा हुआ है। इसीलिए कि यह लड़ाई अब सिर्फ साम्राज्योंका ही फैसला नहीं करेगी, बल्कि शोषणका भी फैसला करेगी ।” - तो क्या तुम इसे क़बूल नहीं करते, कि इस लड़ाई के लिए सबसे बड़े दोषी अॅग्रज में जीपति हैं ?

बाल्डविन चेम्बरलेन जिनके स्वार्थ के प्रतिनिधि थे ? हाँ, मै स्वीकार करता हैं। उन्होंने ही मुसोलिनी, हिटलरको पोसकर बड़ा किया, जिसमे साम्यवादियोंसे शोषकवर्गको त्राण मिले । लेकिन भस्मासुरने पहले बैलनाथ ही पर हाथ साफ़ करना चाहा, और जब तक यह तमाशा होता रहा, तब तक मैंने भी इस बड़े कदमको उठानेको निश्र्चय नहीं किया। लेकिन आज भस्मासुर बैलनाथपर नहीं हमारे ऊपर हाथ रखना चाहता है । ' ' “हमारे ऊपर ! मुझे तो कोई अन्तर नहीं मालूम होता, पहिलेसे।" "आपको अन्तर नहीं मालूम होता क्योंकि आपका'वर्ग-सेठ वर्ग–फासिस्तु शासनमें भी घी चुपड़ीकी आशा रखता है। कुम्, मित्सुईंकी पाँचो घीमें हैं, इस लड़ाईके होने से; किन्तु, सोवियतके पराजित हानेपर शोषितों-मजदूरों, किसानों-को कोई आशा नहीं। कसाई हिटलर और तोजोके राज्यमे किसान बकाश्तकी लड़ाई नहीं लड़े सकते, रूपकिशोर बाबू ! नहीं मज़दूर बल्लेसे बड़े अत्याचारके लिए हड़ताल कर सकते हैं। फासिज्म मजदुर किसानोंको पक्के मानीमें दास बनाना चाहता है। हमरे लिए सोवियत बहुतसे राष्ट्रॉमें एक नहीं,