पृष्ठ:वोल्गा से गंगा.pdf/३६६

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सुमेर ३६५ साही मॅझोला, किन्तु उम्र जहाँ सुमेर इक्कीस सालका छरहरा जवान था, वहीं दूसरा चालीस सालका ढीला-दाला कुछ स्थूल शरीरका आदमी मालूम होता था । सुमेरके शरीर पर खाकी हाफपँट, उलटे लरकी खाकी हाफशर्ट, कन्धे पर बरसाती, पैरमे रबरकी काली गुर्गाबी थी । उसके साथीके बदन पर खद्दरकी सफेद धोती, वैसा ही कुर्ता गाधी टोपी और एक कवल था, पैर नंगा था । सुमेर और आगे बढ़ गया, और मुंह पर हँसी की रेखा लाकर बोला| "शुक्र है, आज बाढ़ उतर रही है । और बादल भी फट रहा है।" “हाँ हम लोग कितने चिन्तित थे। मैंने एक बार पढ़ा था कि आजसे ढाई हजार वर्ष पूर्व जब पाटलिपुत्र (पटना) बसाया जा रहा था, तो गौतमबुद्धने और तरहसे इसे समृद्ध नगर होनेकी बात करते हुए पाटलिपुत्रके तीन शत्रु बतलाये ये-आग, पानी और आपसी फूट “तो आप इतिहासकै विद्यार्थी हैं । विद्यार्थी तो मैं राजनीतिका हूँ किन्तु इतिहास में भी शौक है, खास कर मूलके अनुवादोंके पढनेका । “हाँ, पानी शत्रुको तो इस प्रकार आज कई दिनसे देख रहे हैं । और आगका भय उस वक्त रहा होगा, जब कि पाटलिपुत्रके मकान अधिकतर लकड़ीके बनते रहे होंगे। शालके जंगलोंकी अधिकताके वक्त यह होना ही था । और फूटने तो सारे भारतकी लक्ष्मीको बर्बाद कर दिया | अच्छा, मैं आपका नाम जान सकता हूँ ?" 'मेरा नाम सुमेर है, मैं पटना कालेजके पंचम वर्षका विद्यार्थी हैं।

  • और मेरा नाम रामवालक श्रोझा हैं। मैं भी एक वक्त पटना कालेजका विद्यार्थी रह चुका हूँ, किन्तु उसे बीस सालसे ऊपर हुए। एक मित्रने जोर दिया नहीं तो मैं एम० ए० किये बिना ही असहयोग कर रहा था। खैर ! वैसा होने पर भी मुझे अकबोस न होता। मुझे