पृष्ठ:वोल्गा से गंगा.pdf/३६३

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३६३ वोल्गासै बगा कहा-'अहिंसाका राजनीतिमे इस्तेमाल गाँधीजीका महान् आविष्कार है, और यह अमोघ हथियार है। “हमारी वर्तमान स्थितिमें वह उपयोगी हो सकता है, किन्तु अहिंसा कोई अमोघ-वमोध हथियार नहीं है। दुनियामें जितने अहिंसक पशु हैं, उतने ही वही ज्यादा दूसरोंके शिकार होते हैं । “पशुमें न हो, किन्तु मनुष्यमें अहिंसा एक अद्भुत बलका संचार करती है।" “राजनीतिक क्षेत्रमे कोई इसका उदाहरण नहीं है । नये आविष्कारका उदाहरण नहीं हुआ करता है।

  • नया आविष्कार भी नहीं है,” शङ्करने कहा-“बुद्ध, महावीर, -आदि कितने ही धर्मोपदेशकोने इस पर जोर दिया है ।

"किन्तु राजनीतिक क्षेत्र में नहीं । सफदर-“राजनीतिक क्षेत्र में इसकी उपयोगिता जो कुछ बढ़ गई है, वह इसीलिये कि आज मानवताका तल कुछ ऊँचा उठ गया है, और अखबारोंमें निहत्थों पर गोली चलानेको लोग बहुत बुरा समझते हैं। अॅग्र जे जलियाँवालामे गोली चलाकर इसके परिणामको देख चुके हैं।" तो आप समझते हैं, हमारा यह अहिंसात्मक असहयोग स्वराज्यके लिये काफी नहीं है।” “पहले आप स्वराज्यकी व्याख्या करें ।” {"आप भी तो स्वराज्यके युद्धमे आये हैं। आप क्या समझते हैं ? मैं समझता हूँ, कमाने वालोंको राज्य–केवल कमाने वालोंका ! “तो आपके स्वराज्यमें तन-मन-धनसे सहायता करने वाले, कष्ट सहकर जैल आने वाले शिक्षितों, सेठों, तालुकदारोंका कोई अधिकार नहीं रहेगा पहले तो आप देख रहे हैं कि सेठ तालुकदारोंको अमन-सभा -बनानेसे ही फुर्सत नहीं है, वह बेचारे जेल क्यों आने लगे हैं और यदि